बादलों के देश मेघधाम में, जहाँ नदियाँ इंद्रधनुष के रंगों से बहती थीं और पहाड़ रुई के नरम बादलों से बने थे, बदल नाम का एक छोटा सा अजगर रहता था। बदल औरों से थोड़ा अलग था। जहाँ बाकी अजगर अपनी नाक से धधकती आग उगलते थे, बदल के मुँह से बस बुलबुले निकलते थे – रंगीन, चमकदार बुलबुले जो हवा में तैरते और फूटते थे।
बदल को थोड़ा बुरा लगता था। उसे लगता था कि वो बाकी अजगरों जैसा बहादुर और शक्तिशाली नहीं है। जब दूसरे अजगर आग उगलने की प्रतियोगिता करते, बदल एक कोने में दुबका रहता, अपने बुलबुलों को देखकर उदास होता। उसकी माँ, एक समझदार और प्यार करने वाली अजगरनी, उसे हमेशा समझाती, “बदल, हर किसी में अपनी ख़ासियत होती है। शायद तुम्हारी ख़ासियत आग नहीं, बुलबुले हैं।” लेकिन बदल को ये बात पूरी तरह समझ नहीं आती थी।
एक दिन, मेघधाम में ‘अजगर उत्सव’ आने वाला था। इस उत्सव में, हर अजगर को अपनी विशेष प्रतिभा दिखानी होती थी। बाकी अजगर अपनी आग की कलाबाज़ियाँ दिखाएंगे, और बदल… बदल क्या दिखाएगा? वो सोचकर परेशान हो गया। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं क्या करूँगा? मेरे तो बुलबुले हैं, आग नहीं। सब मुझ पर हँसेंगे।”
माँ ने उसे प्यार से देखा और कहा, “बेटा, अपने बुलबुलों को कम मत समझो। वे भी तो जादू से भरे हैं। इस बार तुम अपने बुलबुलों से ही उत्सव में रंग भरो।”
उत्सव का दिन आया। सारे अजगर अपनी-अपनी कला दिखाने के लिए तैयार थे। जब बदल की बारी आई, तो वो थोड़ा घबराया। उसने गहरी सांस ली और आँखें बंद करके, पूरी ताकत से फूँका। और फिर… बुलबुले! अनगिनत बुलबुले! छोटे, बड़े, गोल, लंबे, हर आकार और रंग के बुलबुले हवा में तैरने लगे।
लेकिन ये साधारण बुलबुले नहीं थे। ये जादुई बुलबुले थे! जैसे ही वे हवा में उड़े, उन्होंने मेघधाम के रंगों को और चमकीला कर दिया। इंद्रधनुषी नदियाँ और तेज़ चमकने लगीं, रुई के पहाड़ और भी नरम दिखने लगे, और फूलों में छुपे नन्हे परियों ने खुशी से ताली बजाई। लोग हैरान और खुश होकर देखने लगे। किसी ने हँसा नहीं, बल्कि सबने तालियाँ बजाईं और वाह-वाह किया।
बदल ने देखा कि उसके बुलबुलों ने उत्सव में खुशियाँ भर दी हैं। वो समझ गया कि उसकी माँ सही कहती थी। उसकी ख़ासियत, उसकी बुलबुले, कमज़ोरी नहीं, बल्कि जादू थी। उस दिन से, बदल ने कभी भी अपने बुलबुलों को लेकर शर्मिंदगी महसूस नहीं की। वो मेघधाम का ‘बुलबुला अजगर’ बन गया, और हर कोई उसे उसके अनोखे जादू के लिए प्यार करता था। और रात को, जब तारे टिमटिमाते, बदल बादलों पर लेटकर बुलबुले उड़ाता, और मेघधाम सपनों के एक और जादुई दुनिया में खो जाता।