शांत पानी के नीचे, मूंगे की चट्टानों के बीच, तारा नाम की एक सितारा मछली रहती थी। तारा बहुत प्यारी थी और उसे रात में सोना बहुत पसंद था। लेकिन तारा में एक छोटी सी आदत थी – वह नींद में चलती थी!
हर रात जब चाँद पानी पर अपनी चाँदी की रोशनी बिखेरता, तारा अपनी नींद में तैरना शुरू कर देती। उसके दोस्त, छोटे रंगीन मछलियों का झुंड और बूढ़े बुद्धिमान कछुए दादा कछुआ, हमेशा उसे सुरक्षित रखने के लिए चौकन्ने रहते थे।
एक रात, तारा नींद में चलते हुए थोड़ी दूर निकल गई। उसने अपने छोटे-छोटे पैरों से रेत को इधर-उधर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे रेत का एक छोटा सा टीला बनने लगा। मछलियाँ चिंतित हो गईं। “ओह नहीं! तारा क्या कर रही है?” एक छोटी नीली मछली ने फुसफुसाया।
दादा कछुआ धीरे से मुस्कुराए। “शांत रहो, मेरे बच्चों। तारा बस सपने देख रही है। चलो देखते हैं कि वह क्या बनाती है।”
तारा रेत को आकार देती रही। वह गोल और चिकना टीला बनाती गई। सुबह होने तक, जब सूरज की पहली किरणें पानी में चमकीं, तो तारा जाग गई। उसने देखा कि उसने क्या बनाया है और हैरान रह गई!
रेत का टीला एक सुंदर, चमकदार किला बन गया था! रात भर में, तारा ने नींद में चलते हुए रेत से एक अद्भुत महल बना दिया था। मछलियाँ खुशी से चहचहाने लगीं, और दादा कछुआ ने अपनी गर्दन हिलाई। “देखो! तारा की नींद में चलने वाली हरकत ने हमें कितना सुंदर तोहफा दिया!”
तारा भी मुस्कुराई। उसे याद नहीं था कि उसने यह सब कब किया, लेकिन उसे अपना रेतीला किला बहुत पसंद आया। उस दिन से, तारा की नींद में चलने को लेकर कोई चिंतित नहीं हुआ। बल्कि, वे उत्सुकता से इंतज़ार करते थे कि अगली रात तारा नींद में चलकर क्या नया ‘सरप्राइज’ लाएगी। और तारा, नींद में चलते हुए भी, जानती थी कि उसके दोस्त हमेशा उसका ख्याल रखेंगे, चाहे वह सपने देख रही हो या जाग रही हो।