रात का समय था, और छोटी मीरा अपनी दादी माँ के पास बैठी थी। बाहर तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद अपनी शीतल रोशनी बिखेर रहा था। मीरा को नींद नहीं आ रही थी, वह बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। दादी माँ ने मीरा के बालों में प्यार से हाथ फेरा और कहा, « क्या तुम्हें आज अक्षर सूप के समुद्र की कहानी सुननी है? »
मीरा ने उत्सुकता से आँखें खोलीं। « अक्षर सूप का समुद्र? यह कैसा होता है? »
दादी माँ मुस्कुराईं। « यह एक जादुई समुद्र है, मीरा। इसमें पानी नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे अक्षर तैरते हैं। ‘क’, ‘ख’, ‘ग’, ‘घ’ से लेकर ‘ज्ञ’ तक, सारे अक्षर मिलकर लहरें बनाते हैं और गीत गाते हैं। »
मीरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और कल्पना करने लगी। उसने देखा कि वह एक छोटी सी कागज़ की नाव में बैठी है, और वह नाव एक अद्भुत समुद्र पर तैर रही है। यह समुद्र सचमुच अक्षरों से बना था! लाल ‘अ’, पीला ‘ब’, हरा ‘स’, और नीला ‘द’ – हर रंग के अक्षर पानी में तैर रहे थे। वे आपस में टकराते, घुलते-मिलते और मधुर ध्वनियाँ निकालते थे – जैसे पत्तों की सरसराहट या धीमी संगीत की धुन।
अचानक, मीरा ने देखा कि एक छोटा सा अक्षर ‘ट’ अकेला और उदास किनारे पर बैठा है। वह रो रहा था। मीरा ने अपनी नाव किनारे पर लगाई और पूछा, « क्या हुआ, छोटे ‘ट’? तुम क्यों रो रहे हो? »
‘ट’ ने सिसकते हुए कहा, « मैं खो गया हूँ! मैं किसी शब्द का हिस्सा था, पर मैं भूल गया कि कौन सा शब्द। मुझे डर लग रहा है, मैं अकेला हूँ। »
मीरा का दिल भर आया। उसने कहा, « अरे, रोओ मत। मैं तुम्हारी मदद करूंगी। हम मिलकर तुम्हारा शब्द ढूंढेंगे। »
मीरा और ‘ट’ दोनों नाव में बैठ गए और अक्षर सूप के समुद्र में आगे बढ़ने लगे। उन्होंने ‘म’, ‘ट’, ‘र’, और ‘प’ अक्षरों से पूछा, लेकिन किसी को भी ‘ट’ का शब्द याद नहीं आ रहा था। फिर वे ‘ख’, ‘र’, ‘ग’, और ‘ओ’ अक्षरों के पास पहुंचे। ‘ओ’ अक्षर बोला, « मुझे याद आया! ‘ट’ तो ‘टमाटर’ शब्द का हिस्सा है! »
‘ट’ खुशी से उछल पड़ा। « हाँ! टमाटर! मुझे याद आ गया! » वह दौड़कर ‘ट’, ‘म’, ‘ट’, ‘र’ अक्षरों के पास गया और उनसे मिलकर एक प्यारा सा ‘टमाटर’ शब्द बन गया।
मीरा को बहुत ख़ुशी हुई। उसने देखा कि छोटा ‘ट’ अब कितना खुश है। अक्षर सूप का समुद्र और भी मधुर गाने लगा, और अक्षरों की लहरें और भी रंगीन हो गईं।
दादी माँ ने देखा कि मीरा की आँखें धीरे-धीरे मूंद रही हैं। कहानी सुनते-सुनते मीरा को नींद आ गई थी। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी, जैसे वह अभी भी अक्षर सूप के जादुई समुद्र में तैर रही हो। और बाहर, चाँद और तारे धीमी आवाज़ में एक लोरी गा रहे थे।