चमकी वन, एक ऐसी जगह जहाँ चाँदनी पत्तियों से छनकर सुनहरी होती थी और रात में फूल तारों की तरह चमकते थे। यहाँ, जुगनू नाम का एक छोटा सा, शर्मीला जुगनू रहता था। हर रात, जब चाँद आसमान में चढ़ता, जुगनू और उसके दोस्त अपनी हल्की रोशनी से वन को रोशन करते थे। यह उनकी रात की कहानी थी।
एक रात, बूढ़े और बुद्धिमान बाबा पतंगा ने घोषणा की, “आज रात, हम आकाश को एक नया रंग देंगे – बैंगनी!” बाकी जुगनू उत्साह से चहचहाए, लेकिन जुगनू थोड़ा पीछे हट गया। उसने धीरे से पूछा, “बैंगनी? क्या… क्या मैं बैंगनी रंग कर पाऊंगा?” उसने कभी इतना गहरा रंग नहीं बनाया था।
बाबा पतंगा ने अपनी गर्म रोशनी जुगनू पर डाली। “जुगनू,” उन्होंने कहा, “तुम्हारे अंदर हर रंग है। तुम्हें बस उसे बाहर लाना है।” बाबा पतंगा ने समझाया कि कैसे वे सब मिलकर काम करेंगे। वे चमकी वन के एक विशेष फूल, ‘बैंगनी पंखुड़ी’ की धूल का उपयोग करेंगे, जो चांदनी में चमकती थी। इस धूल को अपनी रोशनी के साथ मिलाकर, वे आकाश को एक नया रंग दे सकते थे।
सभी जुगनू, बड़े और छोटे, उड़ने लगे। उन्होंने बैंगनी पंखुड़ी की धूल इकट्ठा की और धीरे-धीरे, अपनी टिमटिमाती रोशनी के साथ उसे मिलाना शुरू कर दिया। शुरू में, जुगनू को थोड़ा डर लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे उसने देखा कि उसकी रोशनी दूसरों के साथ मिलकर काम कर रही है, उसका डर गायब हो गया।
और फिर, जादू हुआ! धीरे-धीरे, आकाश का गहरा नीला रंग बदलने लगा। नीचे गाँव में, बच्चे अपनी खिड़कियों से बाहर देख रहे थे। उनकी आँखें आश्चर्य से खुली थीं। आकाश, हमेशा से नीला या काला, अब एक गहरा, शांत बैंगनी रंग का हो रहा था। यह ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने आकाश को मखमली कपड़े से ढक दिया हो।
जुगनू ने ऊपर देखा। बैंगनी आकाश कितना शांत और सुंदर था! उसकी रोशनी, छोटी सी होने के बावजूद, इस जादुई रंग का हिस्सा थी। उसके दिल में गर्व और खुशी की एक गर्म लहर दौड़ गई। आज रात, उसने सिर्फ रोशनी नहीं की थी; उसने आकाश को रंगा था।
चमकी वन, गाँव, और सब लोग, उस रात, एक शांत, बैंगनी रोशनी में सो गए। और जुगनू, छोटा जुगनू, ने सपना देखा कि वह आकाश को हर रात नए रंगों से रंग रहा है।