एक छोटे से गाँव में, जहाँ तारे ज़मीन के क़रीब चमकते थे, लीला नाम की एक प्यारी बच्ची रहती थी। लीला का कमरा एक जादुई जगह थी, और कमरे के कोने में एक पुरानी किताबों की अलमारी थी। यह अलमारी साधारण नहीं थी – यह कहानियाँ सुनाती थी।
हर रात, जब चाँद आसमान में अपनी चाँदी बिखेरता, अलमारी धीरे से साँस लेती। ‘फुस्स…फुस्स…’ की हल्की आवाज़ आती, जैसे कोई गहरी नींद में साँस ले रहा हो। लीला को पहले थोड़ा अजीब लगा, पर फिर उसे अच्छा लगने लगा। उसे लगता था कि अलमारी उसे लोरी सुना रही है।
एक रात, लीला अलमारी के पास गई और धीरे से पूछा, « क्या तुम सच में साँस लेती हो? »
अलमारी ने जवाब नहीं दिया, पर उसकी लकड़ी में से एक धीमी, मधुर आवाज़ आई, जैसे पन्ने धीरे-धीरे पलट रहे हों। फिर, एक हल्की सी फुसफुसाहट सुनाई दी, « हाँ, मैं कहानियों की साँस लेती हूँ। क्या तुम एक कहानी सुनना चाहोगी? »
लीला की आँखें चमक उठीं। « हाँ! ज़रूर! » उसने कहा।
अलमारी ने अपनी कहानी शुरू की। उसकी आवाज़ गर्म और मुलायम थी, जैसे शहद की तरह मीठी। उसने सितारों और बादलों की कहानी सुनाई, जो दोस्त थे और रात भर आकाश में खेलते थे। उसने एक शरारती चाँद की कहानी सुनाई, जो छुप-छुप कर बादलों के पीछे से झाँकता था। उसने फूलों की कहानी सुनाई, जो रात में अपनी खुशबू से हवा को भर देते थे।
अलमारी की कहानियाँ जादुई थीं। जब वह बोलती, तो कमरे में धीमी रोशनी फैल जाती, जैसे जुगनू नाच रहे हों। लीला को लगता था कि वह कहानियों की दुनिया में उड़ रही है, सितारों के साथ खेल रही है, बादलों पर सो रही है। उसे डर नहीं लगता था, बस सुकून मिलता था।
धीरे-धीरे, लीला की पलकें भारी होने लगीं। अलमारी की आवाज़ एक लोरी की तरह लग रही थी। कहानियाँ सुनते-सुनते, वह नींद की गहरी दुनिया में खो गई। अलमारी अभी भी फुस्स…फुस्स… की धीमी साँस ले रही थी, कमरे को कहानियों की मीठी खुशबू से भर रही थी।
हर रात, अलमारी लीला को नई कहानियाँ सुनाती, और हर रात लीला कहानियों की जादुई दुनिया में मीठी नींद सोती। अलमारी सिर्फ किताबों की अलमारी नहीं थी, वह सपनों की दोस्त थी, रातों की साथी थी, और हर बच्चे को यह सिखाती थी कि कहानियों में कितना सुकून और जादू भरा होता है।